धैर्य एक गुण या खूबी होती है | वह ६ संपत्तियों में से एक है | शम (मन की शांति), दम (आत्म संयम या स्वयं पर
नियंत्रण), उपरति (सांसारिक सुखों और वस्तुओं से दूरी), तितिक्षा (धैर्य की शक्ति या सहनशीलता), श्रद्धा
(विश्वास) और समाधान (आत्म संतुलन या मन का केंद्रित होना) | समाधान, संतोष और धैर्य पाने के लिये होता है |
यह अत्यंत आवश्यक है |
AJIT JAIN
गुरुवार, 18 जुलाई 2013
गुरुवार, 4 जुलाई 2013
योग निद्रा
योग निद्रा
तनाव से
शीघ्र मुक्ति – एक चमत्कारिक अनुभव
आज की महानगरीय एंव शहरी जिंदंगी में तनाव सभी
व्यक्तियों के जीवन का एक ऐसा हिस्सा बन गया है, जिसके लंबे समय तक
रहने से या इसके सार्थक उपचार नहीं होने की स्थिति में व्यक्ति अवसाद जैसी मानसिक
बीमारियों का शिकार हो जाता है I जीवन की भाग दौड़
भरी जीवन शैली में व्यक्ति को इस भयंकर बीमारी के जीवन में आने की आहट मिलने तक
बीमारी अपने अगले चरण तक फैल चुकी होती है I इससे व्यक्ति के
व्यवहार में नकारात्मक परिवर्तन आने शुरू हो जाते है I ये अवांछनीय व्यवहार
परिवर्तन उसे अपने साथियों और परिजनों से दूर करता चला जाता हैI मानसिक स्वास्थ्य की
रिपोर्ट के अनुसार विश्व मे कुल आबादी का 32.4 प्रतिशत एंव भारत में एक करोड़ से
अधिक लोग मानसिक रूप से स्वस्थ्य नहीं है I
आज इस स्थिति के कारणों पर चर्चा से अधिक महत्वपूर्ण
इसके उपचार के सार्थक तरीके को खोजना आवश्यक है I इस विषय में लोगो की
जागरूकता से नये नये प्रयोगों को अपनाया जा रहा हैI प्राथमिक रूप से, मन के दैष, ईर्षा, लालच, अहंकार व अनावश्यक
क्रोध पर नियमित संयम तथा समता, सहिष्णुता, परोपकार, क्षमा व संवेदना की
भावना को आत्मसात करके भी व्यक्ति अपने तनाव को गौण कर सकता है I तनाव से मुक्ति के अधिकतर
उपचार जीवन शैली में बदलाव तथा नियमित योग-प्राणायाम आदि उपायों पर ही केन्द्रित है
I उनमे से योग निद्रा एक है जिसका सतत अभ्यास एक चमत्कारिक
अनुभव जैसा है
योग निद्रा : योग निद्रा का मतलब आध्यात्मिक
नींद। यह वह नींद है, जिसमें जागते हुए सोना है। सोने व जागने के बीच
की स्थिति है योग निद्रा। इसे स्वप्न और जागरण के बीच की स्थिति मान सकते हैं। यह
झपकी जैसा है या कहें कि अर्धचेतन जैसा है।
समय : योग निद्रा 10 से 45 मिनट तक की जा सकती है।
सावधानी : योग निद्रा खुली जगह पर करें। योग
निद्रा में सोना नहीं है और शरीर को किसी भी तरह हिलाना नहीं है। इस अवस्था मे
निद्रा में जाए क्योंकि, यह एक मनोवैज्ञानिक
नींद है। मन को विचार विहीन करते हुए केवल सांसो के आवागमन को महसूस करना है।
ऐसे करें योग निद्रा :
स्टेप-1 : स्वच्छ स्थान पर दरी बिछाकर उस पर एक
कंबल बिछाएं। ढीले कपड़े पहनकर कंबल पर शव-आसन की स्थिति में लेट जाएं। जमीन पर
दोनों पैर लगभग एक फुट की दूरी पर हों। हथेली कमर से छह इंच दूरी पर हो और आंखे
बंद रखें।
स्टेप-2 : इसके बाद सिर से पांव तक पूरे शरीर को पूर्णत: शिथिल कर दीजिए और मन-मस्तिष्क से तनाव हटाकर निश्चिंतता से लेटे रहें। इस दौरान पूरी सांस लेना व छोड़ना जारी रखें।
स्टेप-3 : अब कल्पना करें कि आप के हाथ, पांव,
पेट,
गर्दन,
आंखें
सब शिथिल हो गए हैं। तब फिर स्वयं से मन ही मन कहें कि मैं योग निद्रा का अभ्यास
करने जा रहा हूं। ऐसा तीन बार दोहराएं और गहरी सांस छोड़ना तथा लेना जारी रखें।
स्टेप-4 : अब अपने मन को शरीर के विभिन्न अंगों
पर ले जाइए और उन्हें शिथिल व तनाव रहित होने का निर्देश दें। पूरे शरीर को
शांतिमय स्थिति में रखें। महसूस करें कि संपूर्ण शरीर से दर्द बाहर निकल रहा है और
मैं आनंदित महसूस कर रहा हूं। गहरी सांस ले।
स्टेप-5 : फिर अपने मन को दाहिने पैर के अंगूठे
पर ले जाइए। पांव की क्रम से सभी अंगुलियां, पांव का तलवा,
एड़ी,
पिंडली,
घुटना,
जांघ,
नितंब,
कमर,
कंधा
शिथिल होता जा रहा है।
स्टेप-6 : इसी तरह बायां पैर के अंगूठे स उपरोक्त क्रम को दोहराए ।
सहज सांस लें व छोड़ें। अब लेटे-लेटे पांच बार पूरी सांस लें व छोड़ें। इसमें पेट व
छाती चलेगी। पेट ऊपर-नीचे होगा।
शारीरिक लाभ : योग निद्रा से रक्तचाप, मधुमेह,
हृदय
रोग, सिरदर्द, पेट में घाव,
दमे की
बीमारी, गर्दन दर्द, कमर दर्द,
घुटनों,
जोड़ों
का दर्द, साइटिका, प्रसवकाल की पीड़ा
में बहुत ही लाभ मिलता है।
मन-मस्तिष्क को लाभ : इससे मस्तिष्क तनाव मुक्त
हो जाता है। यह अनिद्रा, थकान और अवसाद में
बहुत ही लाभदायक सिद्ध होती है। योगनिद्रा द्वारा मनुष्य से अच्छे काम भी कराए जा
सकते हैं। बुरी आदतें भी इससे छूट जाती हैं। योग निद्रा में किया गया संकल्प बहुत
ही शक्तिशाली होता है। योग निद्रा आत्म सम्मोहन नहीं है।
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